

क्या है पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र
पृथ्वी पर हो रहे लगातार परिवर्तन का असर किसी न किसी रूप सामने आ ही रहा है, उनमें से एक है चुम्बकीय क्षैत्र का खिसकना। वैज्ञानिकों के मुताबिक यह परिवर्तन काफी तेजी से हो रहा है,उनका मानना है कि यह परिवर्तन अगर ऐसे ही होता रहा तो कुछ वर्षों में यह साइबेरिया आ पहुंचेगा। और यह स्थिति हम अगले 50 वर्षों देख सकेगें, यानी हमारा दिशा सूचक (N) अव परिवर्तित हो जायेगा।कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि यह 1980 के बाद 50 KM प्रति वर्ष की रफ्तार पृथ्वी का चुम्बकीय क्षैत्र साइबेरिया की ओर से बदल रहा है।
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वर्ल्ड मैग्नेटिक मॉडल के नये अपडेट का इंतजार है, जो कि आम तौर पर अपनी रिपोर्ट प्रति 5 वर्ष देता है, इसका आखिरी अपडेट 2015 में दिया था। पृथ्वी की गर्भ में होने वाले हलचलों के कारण चुम्बकीय क्षैत्र प्रभावित हो रहा है जिससे पृथ्वी के अन्दर लोहे के बहाव पर इसका सीधा असर पढ़ रहा है। जिससे यह परिवर्तन देखने को मिल रहा है।
इस परिवर्तन से नेवीगेशन के लिये जीपीएस टेक्नोंलॉजी का इस्तेमाल करते है, हवाई जहाज, समुद्री जहाज और टेलीफोन WMM के जरिए ही नेवीगेशन को सटीक बनाते है। अमेरिकी वैज्ञानिक जेम्स फ्रीडरिष के अनुसार, ‘आपका रुख, आप किस दिशा का सामना कर रहे हैं, यह सब चुम्बकीय क्षैत्र पर निर्भर होता है’,।
वैज्ञानिकों के लिए अभी भी रहस्यमय है कि क्यों यह बदलाव तेजी से हो रहा है, यद्यपि समुद्र की जलधाराएं और धरती के गर्भ का लोहा इस प्रभाव डालते है किन्तुं इतनी तेज रफ्तार से नहीं।
समझने की बात है कि चुम्बकीय क्षैत्र और भौगोलिक उत्तरी धुव्र में अन्तर क्या है, भौगोलिक धुव्र(जैसे-नार्थ पोल और साउथ पोल) हमेशा अपने ही स्थान पर रहता है किन्तु चुम्बकीय क्षैत्र लगातार खिसकता रहता है
और यह पृथ्वी का चुम्बकीय क्षैत्र साइबेरिया की ओर का वर्णन था
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